PNS Ghazi का रहस्य: कैसे भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान की सबसे बड़ी साजिश नाकाम कर दी?

PNS Ghazi Vs INS Vikrant

1971 का भारत-पाक युद्ध इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक युद्धों में से एक था। इस युद्ध ने न केवल भारतीय सेना की ताकत और रणनीतिक क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि एक नए राष्ट्र, बांग्लादेश के जन्म का कारण भी बना। आमतौर पर यह युद्ध थल सेना के संघर्ष के रूप में देखा जाता है, लेकिन भारतीय नौसेना ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला कर उसे पूरी तरह से निष्क्रिय कर दिया और साथ ही पाकिस्तान की सबसे खतरनाक पनडुब्बी PNS Ghazi को समुद्र की गहराइयों में दफन कर दिया। यह कहानी भारतीय नौसेना की कुशल रणनीति, अदम्य साहस और गहरी समुद्री योजना की है, जिसने पाकिस्तान को समुद्री युद्ध में पूरी तरह पराजित कर दिया।

PNS Ghazi: पाकिस्तान की सबसे घातक पनडुब्बी

PNS Ghazi, जो मूल रूप से अमेरिकी पनडुब्बी USS Diablo थी, को पाकिस्तान ने अमेरिका से लीज़ पर लिया था। यह पाकिस्तान की एकमात्र लंबी दूरी की हमलावर पनडुब्बी थी, जिसे विशेष रूप से भारतीय विमानवाहक पोत INS Vikrant को नष्ट करने के मिशन पर लगाया गया था। INS Vikrant, भारतीय नौसेना का एक शक्तिशाली एयरक्राफ्ट कैरियर था, जो समुद्र में भारत की ताकत को प्रदर्शित करता था। पाकिस्तान जानता था कि अगर उसे समुद्र में बढ़त पानी है तो उसे सबसे पहले INS Vikrant को खत्म करना होगा।

भारत की रणनीति और PNS Ghazi का शिकार

भारतीय खुफिया एजेंसियों को जल्द ही यह सूचना मिल गई थी कि PNS Ghazi भारतीय जल क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है और उसका मुख्य लक्ष्य INS Vikrant है। लेकिन भारत ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि पाकिस्तान को उसी के जाल में फंसाने की योजना बनाई। INS Vikrant को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया और भारतीय युद्धपोत INS Rajput को एक चकमा देने वाले लक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया गया।

INS Rajput को इस तरह से तैयार किया गया कि वह पाकिस्तानी जासूसी उपकरणों को INS Vikrant जैसा लगे। साथ ही, भारतीय नौसेना ने झूठे रेडियो संदेशों और संकेतों का इस्तेमाल किया जिससे PNS Ghazi को यह यकीन हो जाए कि INS Vikrant विशाखापत्तनम के आसपास ही मौजूद है।

PNS Ghazi का विनाश

3-4 दिसंबर 1971 की रात, PNS Ghazi ने भारतीय युद्धपोत को अपना शिकार बनाने की कोशिश की। लेकिन इससे पहले कि वह हमला कर पाती, भारतीय नौसेना ने INS Rajput से गहरे समुद्री बम (Depth Charges) दागे, जिससे PNS Ghazi में एक भयंकर विस्फोट हुआ और वह समुद्र में समा गई। इस पनडुब्बी में 93 पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए, जिनमें 10 वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। यह भारतीय नौसेना की एक ऐतिहासिक जीत थी, जिसने समुद्र में भारत के दबदबे को और मजबूत किया।

कराची पर हमला: ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पाइथन

PNS Ghazi को नष्ट करने के बाद भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर दो बड़े आक्रमण किए।

ऑपरेशन ट्राइडेंट (4 दिसंबर 1971) :- 4 दिसंबर की रात को, भारतीय नौसेना की ‘किलर स्क्वाड्रन’ ने कराची बंदरगाह पर हमला किया। भारतीय मिसाइल युद्धपोतों ने कराची को जलाने के लिए प्रचंड बमबारी की। इस हमले में पाकिस्तान के कई जहाज नष्ट हो गए, जिनमें PNS Muhafiz (माइनस्वीपर), PNS Khaibar (डिस्ट्रॉयर), और MV Venus Challenger (गोला-बारूद ले जाने वाला जहाज) शामिल थे।

ऑपरेशन पाइथन (8-9 दिसंबर 1971) :- ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता के बाद, भारतीय नौसेना ने कराची पर दूसरा बड़ा हमला किया। INS Vinash, INS Talwar, और INS Trishul ने कराची में तेल भंडार और गोला-बारूद के डिपो को पूरी तरह नष्ट कर दिया। इस हमले के बाद पाकिस्तान की नौसेना लगभग निष्क्रिय हो गई और कराची बंदरगाह का आधा से अधिक ईंधन नष्ट हो गया।

PNS Ghazi का रहस्य: कैसे डूबा पाकिस्तान का शिकारी?

हालांकि भारत का आधिकारिक दावा यही था कि INS Rajput के हमले से PNS Ghazi डूब गई, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इस तथ्य को नकारा। पाकिस्तान ने दावा किया कि PNS Ghazi किसी आंतरिक विस्फोट के कारण डूबी थी। लेकिन 2024 में, जब भारतीय नौसेना ने PNS Ghazi का मलबा खोज निकाला, तो यह साबित हो गया कि यह पनडुब्बी भारतीय हमले की वजह से डूबी थी। भारतीय नौसेना ने इसे सम्मान स्वरूप छेड़ा नहीं, क्योंकि यह एक युद्ध क्षेत्र था और उसमें मारे गए नौसैनिकों को सम्मान देना उचित समझा गया।

भारत की ऐतिहासिक जीत और समुद्री वर्चस्व

1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना ने न केवल पाकिस्तान की नौसैनिक शक्ति को समाप्त कर दिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि समुद्र में भारत की पकड़ मजबूत बनी रहे। पाकिस्तान की नौसेना पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई और भारत ने बांग्लादेश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया। PNS Ghazi का खात्मा भारतीय नौसेना के पराक्रम और रणनीतिक कौशल का प्रतीक बन गया।

इस युद्ध के बाद भारतीय नौसेना को दुनिया भर में सराहा गया और यह सिद्ध हो गया कि भारत की जलसेना किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है। आज भी, 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो इस गौरवशाली जीत की याद दिलाता है।

1971 का भारत-पाक युद्ध केवल भूमि तक सीमित नहीं था; समुद्र में भी यह युद्ध पूरी ताकत से लड़ा गया। भारतीय नौसेना ने अपनी रणनीति, बहादुरी और सूझबूझ से पाकिस्तान को न केवल हराया बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि भविष्य में कोई भी देश भारत की समुद्री सीमाओं को चुनौती देने की हिम्मत न करे। PNS Ghazi का विनाश, ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पाइथन भारतीय नौसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखे गए अध्याय हैं। भारत ने इस युद्ध में यह साबित कर दिया कि चाहे थल हो, जल हो या नभ, हर क्षेत्र में वह अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है।

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